ब्लॉग के ऊपर दाहिनी तरफ दिए गये सोशल मीडिया आइकन पर क्लिक करके मेरे साथ जुड़ें, मुझे सचमुच बहुत अच्छा लगेगा।

Saturday, April 16, 2022

करतारपुर साहिब कॉरिडोर, पाकिस्तान

पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करने के बाद

बेबसी, उदासी, निराशा को छोड़कर,
अपने सफर पर निकले तो ज़िंदगी पाई...
- कुमार आशीष

करतारपुर साहिब, पाकिस्तान (विश्व का सबसे पहला गुरुद्वारा):
मैं 09 अप्रैल 2022 को करतारपुर साहिब दर्शन करने पाकिस्तान गया था। यात्रा के विषय में लिखने से पहले उस स्थान का संक्षिप्त परिचय देना चाहूँगा।

संक्षिप्त परिचय:
करतारपुर साहिब पाकिस्तान के नारोवाल जिले में रावी नदी के पास स्थित है। इसकी स्थापना सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी ने की थी। इसका इतिहास 500 वर्ष से भी पुराना है। इसी स्थान पर गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के आखिरी 18 वर्ष व्यतीत किये और यहीं से अपना भौतिक शरीर त्यागकर परमात्मा में लीन हो गये थे। इसी महत्वपूर्ण स्थान पर अब एक बहुत बड़ा गुरुद्वारा है, जिनकी स्थापना गुरुनानक जी ने स्वयं की थी। इसी कारण इसे विश्व का पहला गुरुद्वारा कहा जाता है। इस स्थान के प्रति सिखों के अलावा हिन्दुओं और मुस्लिमों की भी खूब श्रद्धा है।

नवम्बर, 2019 में दोनों देशों (भारत-पाकिस्तान) की सहमति से एक भव्य कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया और फिर उसे आम जनता के लिए खोल दिया गया है। यदि आप जाना चाहते हैं तो आपके पास भारतीय पासपोर्ट होना अति आवश्यक है। यहाँ एक बात जो सबसे महत्वपूर्ण है कि कभी भी कहीं भी करतारपुर जाने पर आपके पासपोर्ट पर किसी तरह का भारतीय या पाकिस्तानी स्टाम्प नहीं लगता है। यात्रा पर जाने के लिए आपको सबसे पहले अपनी यात्रा तिथि से लगभग 15-20 दिन पहले एक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा।

रजिस्ट्रेशन वेबसाइट: https://prakashpurb550.mha.gov.in/kpr/

इस रजिस्ट्रेशन में आपसे कुछ व्यक्तिगत जानकारियों के अलावा आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट नम्बर, ब्लड ग्रुप, आदि की जानकारी देनी होती है। साथ ही आपका हस्ताक्षर, आईडी प्रूफ, पता का प्रूफ आदि अपलोड करना होता है। इसके लिए फॉर्म भरने हेतु एक निर्देश पुस्तिका की पीडीऍफ़ वहीँ डाउनलोड करके देख सकते हैं। जिसमें अपलोड होने वाले कागजात की साइज़ आदि की जानकारी आपको पहले से हो जायेगी। इस रजिस्ट्रेशन के कुछ दिनों बाद आपका पुलिस वेरिफिकेशन होगा। (ठीक वैसे जैसे पासपोर्ट बनवाते समय होता है)। इस प्रोसेस के बाद आपके पास गृहमंत्रालय से कॉल आएगी और फ़ोन पर सब जानकारी पुनः जाँच की जायेगी। फिर आपकी यात्रा तिथि के लगभग 4-5 दिन पहले उसी वेबसाइट से आपका ETA (Electronic Travel Authorization) डाउनलोड होगा। इस विषय में आपको आपके रजिस्टर्ड नम्बर और ईमेल आईडी पर मैसेज और इमेल करके सूचना दी जायेगी। (यहाँ मेरा निजी अनुभव ये रहा है कि मेरा ETA एक दिन पहले डाउनलोड हो गया था और मैसेज बाद में आया। इसलिए आप भी स्वयं 4 दिन पहले स्टेट्स चेक कर लें तो ज्यादा ठीक रहेगा।)

ETA ही आपका पाकिस्तान की सीमा प्रवेश करने हेतु सरकार की तरफ से अनुमति पत्र है। ये वीजा नहीं है इसलिए आप इसके प्रयोग से केवल उस कॉरिडोर के अन्दर ही रहने के लिए योग्य है उसके अलावा पाकिस्तान में कहीं भी जाना गैर-कानूनी है। वहाँ की सुरक्षा व्यवस्था भी ऐसी है कि कोई जा भी नहीं सकता है।

आवश्यक दस्तावेज:
जब से कोरोना के बाद कॉरिडोर खुला है तब से आपको निम्नलिखित डॉक्यूमेंट अपने साथ रखने होते हैं:

  • Indian Passport
  • ETA (Electronic Travel Authorization)
  • Covid19 Vaccination Certificate (Fully Vaccination Mandatory)
  • Covid19 RT-PCR Negative Report (Within 72 Hrs.)
  • $20 (20 US Dolor Cash)

ETA (Electronic Travel Authorization)

कैसे पहुँचे?
करतारपुर जाने के लिए सबसे पहले आपको अमृतसर, पंजाब पहुँचना होगा। इसके लिए देश के विभिन्न कोने से ट्रेन, बस और हवाई-जहाज की व्यवस्था है। (इसके विषय ज्यादा जानकारी आपको गूगल से आराम से मिल जायेगी)।

अमृतसर से आपको “डेरा बाबा नानक” तक पहुँचना होगा। ये भारत का इस दिशा में आखिरी छोटा-सा कस्बा है और इसी नाम से यहाँ एक रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड भी है। अमृतसर बस स्टैंड से आपको पंजाब रोडवेज की कई बसें मिल जायेंगी या फिर आप सुबह 04:20AM बजे अमृतसर से एक डेमू ट्रेन भी पकड़ सकते हैं। यदि आप बस से नहीं जाना चाहते हैं और सुबह 04 बजे की डेमू भी नहीं पकड़ पा रहे हैं तो आप अमृतसर बस स्टैंड के बाहर से ऑटो करके 8 किमी. दूर ‘वेरका जंक्शन’ पहुँच जाइए। वेरका जंक्शन से कई ट्रेन अलग-अलग समय पर मिलती हैं, उससे भी आप डेरा बाबा नानक तक पहुँच सकते हैं। (ट्रेन की समय सारणी की एक तस्वीर मैं जोड़ दे रहा हूँ, जो मैंने खुद खींची थी। इसके अलावा आप ऑनलाइन देखकर समय पुनः जाँच लेंगे तो अच्छा रहेगा।) रेलवे स्टेशन के पास ही डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा भी है, जिसकी दूसरी रेलवे स्टेशन से लगभग 2.5 किमी. और बस अड्डे से महज 500 मी. है।

यदि आप चाहें तो रात में डेरा बाबा नानक पहुँचकर वहीँ के गुरूद्वारे में रुक भी सकते हैं। इसके लिए गुरूद्वारे में ही आपको निःशुल्क और पैसे वाले कमरे उपलब्ध करवाये जाते हैं। क्योंकि ये बहुत छोटा-सा कस्बा जैसा है इसलिए यहाँ कोई बहुत लग्जरी होटल नहीं मिलेगा मेरे हिसाब से गुरुद्वारा ही सबसे उत्तम विकल्प रहेगा। रात में रुकने वाले यात्री भी सूर्यास्त तक गुरुद्वारे पहुँच जाएँ तो बेहतर रहेगा। (ये बात किसी असुरक्षा के कारण नहीं बल्कि सामान्य सुरक्षा और सतर्कता के लिहाज से कह रहा हूँ।) भोजन की व्यवस्था गुरूद्वारे में चल रहे लंगर से आराम से हो जायेगी।
भारत का आखिरी क़स्बा
यहाँ से बमुश्किल 01 किलोमीटर पर करतारपुर कॉरिडोर शुरू हो जाता है। इसलिए आप गुरूद्वारे से पैदल भी निकल सकते हैं या फिर अपनी गाड़ी से भी जा सकते हैं। इमिग्रेशन बिल्डिंग के बाद बहुत बड़ी पार्किंग सुविधा उपलब्ध है। सुबह 8 बजे से पहले-पहले इमिग्रेशन बिल्डिंग तक पहुँचना सही रहेगा क्योंकि इससे आप अनावश्यक लाइन लगाने से भी बचेंगे और आपके पास गुरुद्वारे में बिताने के लिए दिन भर का समय भी होगा। (आप इस ETA से केवल एक बार और सिर्फ सुबह से शाम 04 तक ही गुरूद्वारे में रहने के लिए अधिकृत हैं। अर्थात् शाम 04 बजे तक आपको बॉर्डर पारकर भारत आ जाना रहेगा।)
मुख्य गुरुद्वारा (दर्शन ड्योढ़ी)
भारत-पाकिस्तान बॉर्डर गेट
कॉरिडोर पहुँचने पर सबसे पहले आपका दस्तावेज जाँच किया जायेगा। फिर आपको पोलियो की ख़ुराक पिलाई जायेगी। (पाकिस्तान में अभी भी पोलियो वायरस है और आप वहाँ पाकिस्तानियों से भी मिलते-जुलते हैं इसलिए आपकी सुरक्षा के मद्देनज़र आपको पोलियो वाली “2 बूँद ज़िन्दगी की” पिलाकर भेजा जाता है।) यहाँ आपके ETA पर पोलियो वैक्सीनेशन की मुहर लगेगी और फिर आगे आपका सब सामान जाँच किया जायेगा और आपकी भी जाँच होगी। (नकारात्मक सामानों की एक लिस्ट आपको वेबसाइट पर मिलेगी वो देख लीजिये कि वो सब आप नहीं ले जा सकते हैं। इसके आलावा आप वहाँ सिर्फ 11 किलो सामान और 11000 नकद भारतीय मुद्रा ले जा सकते हैं।) इसके आगे बढ़ने पर एक पीले कलर का फॉर्म भरना रहेगा जिसमें नाम, नम्बर, पासपोर्ट नम्बर और क्या-क्या सामान ले जा रहे हैं ये सब सामान्य जानकारी देना रहता है। आगे ये फॉर्म जमा होगा और फिर उसके बाद आप पहुँच जाते हैं इमिग्रेशन काउंटर। वहाँ आपके आँखों की और दोनों हाथों की सब उँगलियों की प्रिंट लेते हैं और फिर यहाँ से आप इस बिल्डिंग से बाहर निकल जाते हैं। बाहर निकलते ही एक ई-रिक्शा आपको लेकर ‘जीरो लाइन’ की तरफ बढ़ जाता है। जीरो लाइन से तुरंत पहले एक आखिरी बार भारतीय सीमा सुरक्षा के सजग प्रहरी आपका पासपोर्ट और ETA देखते हैं फिर रिक्शा आपको गेट पर उतार देता है। यहाँ से आपको पाकिस्तानी झन्डा नजर आने लगता है। यहाँ 2 गेट हैं एक भारत में लगा है और 1 पाकिस्तान में इसी के बीच में एक सफ़ेद पट्टी खींची हुई है। यही जीरो लाइन है। यहाँ आप दोनों तरफ पैर रखकर फोटो लीजिये और सबसे कहिए आप एक साथ 2 देशों में खड़े हैं। इसे आपको पैदल ही पार करना होता है। जैसे ही आप पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करते हैं वहाँ की आर्मी आपका स्वागत करती है और आपसे कुछ हाल-चाल लेती है। फिर उनके ई-रिक्शे में बैठकर आपको पाकिस्तान की इमिग्रेशन बिल्डिंग तक जाना होता है। इसी रास्ते पर ‘Welcome To Pakistan’ वाला बोर्ड मिलता है। यहाँ रिक्शा वाला स्वयं भी रोक देता है नहीं तो आप रुकवा भी सकते हैं और फोटो-शोटो खिंचवाकर फिर से रिक्शे में बैठकर पाकिस्तानी इमिग्रेशन बिल्डिंग तक पहुँच जाइये।
भारतीय इमिग्रेशन बिल्डिंग
इस समय मैं दो देशों में एक साथ खड़ा हूँ
पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करने के बाद
रिक्शे से उतरकर सबसे पहले आपको एक करेंसी एक्स्जेंस काउंटर मिलेगा। यहाँ लिखा है कि आप अन्दर बाजारों में केवल पाकिस्तानी रूपये में खरीदारी करें लेकिन ऐसा कुछ अन्दर होता नहीं है। वहाँ भारतीय मुद्रा और यूएस डॉलर सब ले लेते हैं। यहाँ से आप अपनी करेंसी बदलवाकर $20 कैश ले लें। (अच्छा रहेगा आप भारत से ही ये कैश लेकर आये क्योंकि यहाँ आपको थोड़ा मँहगा पड़ेगा।) अगले काउंटर पर आपको $20 कैश देना है और साथ अपना पासपोर्ट देना होगा। उधर से आपको $20 डॉलर की कैश रिसीव वाली पर्ची मिल जाएगी। इसी पर आपका वीजा स्टाम्प लग जाता है और इस तरह आपका पासपोर्ट सुरक्षित रहता है।

यहाँ से आप जब इमिग्रेशन बिल्डिंग में प्रवेश करते हैं तो यहाँ पाकिस्तानी इमिग्रेशन ऑफिसर आपका दस्तावेज देखते हैं, ऊँगली और आँखों की प्रिंट के बाद उसी $20 यूएस डॉलर वाली पर्ची पर प्रवेश की स्टाम्प लगा देते हैं। आगे चलकर आपको गले में लटकाने के लिए करतारपुर का एक आई कार्ड मिलेगा फिर आगे अब कहीं कोई कागज़ नहीं जाँच किया जायेगा। इस बिल्डिंग से बाहर निकलते ही आपको करतारपुर की बस मिल जायेगी और उसमें बैठकर आपको गुरूद्वारे के गेट तक जाना है। (ये दूरी लगभग 4.5 किमी के आसपास है।)
मुख्य गुरुद्वारा (दर्शन ड्योढ़ी)

मुख्य गुरुद्वारा (दर्शन ड्योढ़ी)
गेट से अन्दर जाने पर वहाँ के सुरक्षा कर्मी आपका स्वागत करते हैं और गुरूद्वारे से परिचित करवाते हैं। आप पूरा दिन यहाँ बिता सकते हैं या पहले भी वापस आ सकते हैं। अन्दर मुख्य गुरूद्वारे के साथ-साथ निशान साहिब, सरोवर साहिब, नानक जी के बाग़ आदि अवश्य देखें। गुरुद्वार में लंगर न छके ये कैसे हो सकता है... फिर आप वहाँ के बाज़ारों से कुछ ख़रीदारी भी कर सकते हैं। फिर शाम को उधर से वापसी में भी लगभग यही सब प्रोसेस होता है।

खर्च विवरण:
लखनऊ से अमृतसर ट्रेन स्प्लीपर        :    500
अमृतसर से वेरका जंक्शन ऑटो         :    20
वेरका जं. से डेरा बाबा नानक ट्रेन        :    30
अमृतसर से डेरा बाबा नानाक बस       :    60
डेरा बाबा नानक गुरूद्वारे में कमरे       :    200, 300 और 500/रात्रि
$20 भारतीय मुद्रा से                        :    1950 (09 अप्रैल 2022)
अमृतसर से लखनऊ ट्रेन स्लीपर         :    500
*भारत के इमिग्रेशन पॉइंट से पाकिस्तान गुरूद्वारे तक जाने और आने के लिए जो भी ई-रिक्शा और बस मिलती है वो सब निःशुल्क होती है।

(इस पूरी यात्रा में मैं अमृतसर भी रुका था पर उसका खर्च इसमें नहीं जोड़ रहा हूँ। खाने का खर्च सामान्य रहेगा क्योंकि अधिकाँश आपको लंगर प्रसाद ही मिलता रहेगा। मैंने ये पूरी यात्रा 07-11 अप्रैल के बीच की थी और उस समय मेरा नवरात्र व्रत चल रहा था इसलिए मैं पंजाब के लजीज व्यंजनों के स्वाद से वंचित रह गया। इसकी भरपाई फिर कभी करेंगे।)

पूरी यात्रा में आपको हर पाकिस्तानी बहुत ही प्रेमभाव से मिलेगा। जब मुझे जाना हुआ तो सबको लग रहा था कि पाकिस्तना जाना है, अकेले जा रहे हैं, कभी गये भी नहीं और जाने क्या-क्या? मुझे ये विश्वास था कि भारतीय सेना मेरी पहुँच से सिर्फ 5 किलोमीटर दूरी पर रहेगी और मेरे आने-जाने का ट्रेकिंग भी उनके पास है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी। सच कहूँ तो एक मिनट के लिए भी किसी प्रकार की असुरक्षा महसूस नहीं हुई। सब बहुत आराम से हो जाता है और सबसे मिलकर आपको भी अच्छा लगेगा। मैं ये बात पाकिस्तान की प्रशंसा में नहीं कह रहा हूँ लेकिन इमरान सरकार ने जो कॉरिडोर एरिया की व्यवस्था और सुरक्षा सुनिश्चित की है वो निश्चित ही काबिल-ए-तारीफ है। बॉर्डर पार करने से लेकर और गुरूद्वारे पहुँचने तक के लगभग 5 किमी रास्ते पर दोनों तरफ मजबूत लोहे वाले कटीले तार की दीवार बनाई गयी है, कुछ-कुछ दूरी पर आपको पाकिस्तानी आर्मी के जवान खड़े दिखेंगे। इस पूरी सड़क केवल आप जैसे यात्रियों की बस या आर्मी की गाड़ियाँ दिखेंगी और किसी सामान्य व्यक्ति को इधर आने की अनुमति नहीं है। गुरूद्वारे के भी हर तरफ उसी तरह के कटीले तार की दीवार और हर तरफ पाकिस्तानी सुरक्षा के प्रहरी मुस्तैद रहते हैं। जो पाकिस्तानी लोग गुरुद्वारे में आना चाहते हैं वो शिनाख्ती कार्ड (जैसे अपने यहाँ आधार कार्ड होता है वैसे ही उनका आईडी कार्ड) जाँच करवाकर ही आ सकते हैं। उनके गले में भी एक हरे कलर का करतारपुर वाला आईडी कार्ड आपको दिख जायेगा। यही हमारे और उनके बीच की प्रमुख पहचान भी है। वहाँ और प्रवेश और वापस आने के लिए जो प्रोसेस है उसे बहुत ठीक से अनुसरण भी किया जाता है, कहीं कोई जल्दबाजी या गलती की गुंजाइश जैसा मुझे नहीं लगा। मैं कह सकता हूँ कि उधर जाना एकदम सुरक्षित और मजेदार अनुभवों वाला निर्णय रहा।

मैं राय देने की काबिलियत तो नहीं रखता हूँ लेकिन ये आग्रह अवश्य करना चाहूँगा कि जब आप ऐसी जगहों पर जाएँ तो वो हमारा दुश्मन देश है जैसा पूर्वाग्रह न पालकर केवल गुरुनानक देव जी महाराज को याद रखें। अपना व्यवहार हर आम पाकिस्तानी और वहाँ की आर्मी के प्रति बहुत विनम्र और खुशमिज़ाजी वाला रखें। क्योंकि आपकी कोई बात यदि उन्हें न अच्छी लगी तो यही होगा कि एक भारत वाला आया था ऐसा बोल रहा था, वैसा कर रहा था। इसलिए आप ये मानकर चलें कि आप अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और आपका व्यवहार ही आपके देश की छवि उनके मन में अंकित करेगा। उसी से पता चलेगा कि भारत वाले अच्छे हैं या नहीं...

मिलते हैं फिर किसी और यात्रा के साथ तब तक आप इन स्थिरचित्रों का आनन्द लीजिये-
20 डॉलर जमा करने की रसीद, इसी पर वीजा स्टाम्प लग जाती है

पाकिस्तान की वीजा स्टाम्प

हमारे करतारपुर बस के पाकिस्तानी चालक महोदय

रावी नदी, पाकिस्तान

दो लोग भारत में मिले थे, पाकिस्तान में साथ घूमे और अब अच्छे दोस्त हैं

श्री गुरु नानक जी के चमत्कार का दर्शन कीजिए

भारत के इमिग्रेशन बिल्डिंग के पार्किंग में लगा अपना प्यारा तिरंगा

यही बम 1971 में भारतीय सेना ने गिराया था

पाकिस्तानी सेवादार दोस्त

कटार साहिब, करतारपुर पाकिस्तान

पाकिस्तानी सेवादार हैं, इन्होंने हमें 5 पाकिस्तनी रूपये का सिक्का दिया 

गुरुद्वारा से लौटते हुए

ये बस पाकिस्तानी इमिग्रेशन से गुरुद्वारा तक ले जाती है

डेरा बाबा नानक से कॉरिडोर की तरफ जाने का रास्ता

कॉरिडोर के अन्दर ये एक छोटी-सी बाजार

कॉरिडोर के अन्दर ये एक छोटी-सी बाजार

पाकिस्तान में यही आपका आईडी कार्ड है

पवित्र निशान साहिब

गुरु नानक जी के खेत, बाग़

वो स्थान जहाँ नानक जी की चद्दर और फूल रखे गये

- कुमार आशीष
सोशल मीडिया पर मिलते हैं : Instagram, Facebook

2 comments:

  1. Bhaiya ji aap YouTube pe bhi vlog upload kia kre...

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी भैया! विडियो बना लें तब एक चैनल बनायेंगे... पुराना वाला नहीं चलाने का मन है

      Delete