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ईश्वरीय स्वरुप सम्माननीय भारती पुत्रों!
चरणस्पर्श
सर्वप्रथम आप सभी को पूरे देश की तरफ से दीपावली की अनन्त शुभकामनाएँ! अद्भुत स्थिति है, आज पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ दीपकोत्सव का पावन पर्व मनाया जा रहा है और आपके पास आज भी सिवाय शुभकामनाओं के और कुछ भी नहीं। हमने अपने घरों को लाइट्स से सजाया है, सैकड़ों दीपक जल रहे हैं, मिठाइयाँ बाँटी जा रही हैं। लाई-बताशे का पहला फाँका मारकर लोग ज्ञान दे रहे हैं कि चायनीज़ लाइट्स का इस्तेमाल गलत है, पटाखों से प्रदुषण फ़ैलता है और जाने क्या-क्या... परन्तु आप लोग इन सब राजनितिक/सामाजिक बयानबाजी से दूर श्वेत हिम की चादर पर हाथियारों के साथ खड़े, जीवन और मृत्यु के मोहबंधन से स्वतन्त्र, चौकन्ने होकर सिर्फ ये सोच रहे हैं कि आपसे कोई चूक न हो जिससे देश में चल रहे हर्षोत्सव में विघ्न न पड़े। ‘शुभ-दीपावली’ में कोई ‘अशुभ, अप्रिय’ घटना न हो, किसी के अन्तःकरण में किसी प्रकार का अँधेरा न रह जाये। हज़ारों फीट ऊँचाई पर खड़े बर्फीली हवाओं का शोर सुनते हुए, लगातार अपनी मौत को आँखे दिखाकर, या रेगिस्तान में उड़ते रेतों के बवण्डरों की धूल फाँककर जीने के बावज़ूद जो आपकी सतर्कता है उसी के बलबूते आज भारत जगमग कर रहा है। भारत के त्यौहारों और माँ भारती के चेहरे की रौनक के प्रथम कारण आप लोग ही हैं। आपसे ही देश की सुरक्षा है, आपसे ही देश में खुशियाँ हैं, आपसे ही देश में रौशनी का अम्बार लगा है। पता नहीं इस वक़्त देश के कितने लोग आपको याद कर रहे होंगे, परन्तु वो माँ जिसने दूध के माध्यम से अपनी रगों में बहने वाला रक्त पिलाकर आपको पालापोसा था, वो पिता जिसने फटी बनियान के जेब में से रूपये निकालकर आपको पढ़ाया-लिखाया, वो बहन जिसकी कई वर्षों से राखी प्रतीक्षा में है कि भैया घर आये तो त्यौहार हो, वो पत्नी जिसके सिन्दूर रोज़ उससे पूछते हैं कि जिसके लिए माथे पर सजा रही हो वो माथा चूमने कब आयेगा, वो भाई जो गर्व से सीना चौड़ा करके गाँव भर में बताता रहता है कि उसका भैया सैनिक है, वो गाँव वाले जिन्हें आपकी फ़िक्र लगी रहती है, वो आपका हर “आशीष” जो आपकी याद में पत्र लिख रहा है वो सब आपको बहुत याद कर रहे हैं। मैं पूरे देश की तरफ से कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए आपके और आपके परिवार वालों के महानतम त्याग को प्रणाम करता हूँ। ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि आपको दीर्घजीवन प्रदान करें, आपके जीवन में खुशियों का दीपक सदैव जगमगाता रहे। पुनः दीपकोत्सव की बहुत-बहुत बधाईयाँ...
- कुमार आशीष
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