जो कभी थे आपके हम वो किसी के हो रहे हैं।।
आपकी हर इक दुआ अब आपको ही हो मुबारक,
बद्दुआओं की किसी एक भीड़ में हम खो रहे हैं।
जो कभी थे आपके हम वो किसी के हो रहे हैं।।
याद है हर एक लम्हा साथ में जो था बिताया।
टुकड़े-टुकड़े में सुरक्षित ख़्वाब है जो था सजाया।।
जो मुकम्मल ख़्वाब हैं वो आपको ही हो मुबारक,
हम तो टूटे ख़्वाब के संग हँस रहे हैं रो रहे हैं।
जो कभी थे आपके हम वो किसी के हो रहे हैं।।
याद आयेंगे कभी ये दिन जो सारे जा रहे हैं।
गुनगुनाओगे कभी ये गीत जो हम गा रहे हैं।।
गीत के स्वर-ताल सब कुछ आपको ही हो मुबारक,
हम तो अपनी चुप्पियों संग हँस रहे हैं रो रहे हैं।
जो कभी थे आपके हम वो किसी के हो रहे हैं।।
जिस तरह से भा गये थे आपके दिल को अचानक।
कुछ उसी जैसे हैं भाये हम किसी को बन कथानक।।
प्रेम के हर एक मानक आपको ही हो मुबारक,
हम तो अपने ही प्रणय संग हँस रहे हैं रो रहे हैं।
जो कभी थे आपके हम वो किसी के हो रहे हैं।।
- कुमार आशीष
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