इंटरनेट से साभार |
हे मेरे राम! आकर के मुझसे मेरा,
एक परिचय जरा-सा करा दीजिये।
बेर जूठे रखे, मैं हूँ शबरी बना,
आ के मेरी प्रतीक्षा मिटा दीजिये।
हे मेरे राम!...
एक युग से बना जड़ अहिल्या-सा मैं,
पूरे संसार की ठोकरों में पड़ा।
कोई ऐसा नहीं जो मेरे संग हो,
कोई भी तो नहीं साथ मेरे खड़ा।
आखिरी आस मेरी तुम्हीं हो प्रभु!
अपने चरणों से मुझको लगा लीजिये।
हे मेरे राम!...
मैंने जो था किया वो सही था किया,
और मुझको ही तो घर निकाला मिला।
मैंने समझाया भी, मैंने बतलाया भी,
पर मेरे प्यार का अब यही है सिला।
एक बन्दर ही हूँ, नाम सुग्रीव है,
मेरा सम्मान मुझको दिला दीजिये।
हे मेरे राम!...
आपको तो था मैं पहले भूला हुआ,
अब स्वयं को भी मैं भूलने हूँ लगा।
एक सागर किनारे पे मैं हूँ खड़ा,
उसकी लहरों के संग झूलने हूँ लगा।
मेरे गुण-दोष क्या हैं मझे क्या पता,
ऋक्षपति बन के मुझको दिशा दीजिये।
हे मेरे राम!...
- कुमार आशीष
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