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Tuesday, April 16, 2019

झालीधाम यात्रा

झालीधाम मुख्य मन्दिर

श्री पृथ्वीनाथ महादेव मन्दिर से महज 500 मीटर की दूरी पर ये सुन्दर और शान्ति स्थान है, जिसका नाम है झालीधाम। यहां स्वामी राममिलन दास आश्रम के संत थे। गोंडा बहराइच सीमा पर स्थित मुंडेरवा सरहदी गांव के रहने वाले स्वामी राममिलन दास वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि में जन्म लिया। प्रारम्भ से ही भगवान के प्रेम में लीन सदा प्राणियों के कल्याण हेतु 11 वर्ष की आयु में उपनयन करा कर अयोध्या धाम में दीक्षा ग्रहण कर लगातार 21 वर्ष तक ब्रह्मलीन गुफा में ईश्वर से आत्मसात किया। श्री दास ने ईश्वर की असीम अनुकंपा से दिव्य ज्ञान प्राप्त कर वानप्रस्थ आश्रम बेल चकरा झाली नामक स्थान का चयन कर जनकल्याण करके आत्म शक्ति के बल पर आषाढ़ शुक्ल पक्ष 20 जून 1977 को शरीर त्याग कर ब्रह्मलीन महाप्रयाण प्राप्त किया। इनके पार्थिव शरीर को असंख्य साधु-संतों तथा भक्तों ने संकीर्तन के साथ अयोध्या धाम स्थित सरयू जी में विसर्जित किया। ब्रह्मलीन स्वामी राममिलन दास महाराज के पद चिन्हों पर चलकर उनके स्थान पर स्वामी नरसिंह दास जी महाराज ने जन कल्याण के लिए झाली धाम आश्रम को पर्यटन स्थल घोषित कराने में महती भूमिका अदा की। बताया जाता है कि दशकों से शुरू हुआ यहां अक्षय नवमी के अवसर पर परिक्रमा तथा मेले में देवीपाटन मंडल के विभिन्न जिलों सहित दूरदराज के बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आकर परिक्रमा कार्यक्रम में शामिल होते हैं।

तस्वीरों में देखते हैं इस आश्रम की झलक :











- कुमार आशीष
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Monday, April 15, 2019

श्री पृथ्वीनाथ महादेव मन्दिर (एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग)

एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग

जनपद गोण्डा, उत्तर-प्रदेश के खरगूपुर में स्थित इस प्राचीन श्री पृथ्वीनाथ महादेव मन्दिर का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा हुआ है। किंवदन्तियों के अनुसार, चौसर के खेल में 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास हारने के बाद पाण्डव वनों में भटकते-भटकते गोण्डा की धरती पर पहुँचे। उसी समय वीर भीम जी ने भगवान् शिव की पूजा के लिए अपने हाथों से इस शिवलिंग की स्थापना यहाँ की थी। वक़्त के साथ भीम जी द्वारा स्थापित ये शिवलिंग धरती में समा गया।

युगों के बाद खरगूपुर के राजा मानसिंह की अनुमति से यहाँ के निवासी श्रीपृथ्वीनाथ सिंह ने अपने मकान निर्माण के लिए यहाँ खुदाई शुरू करवा दी। उसी रात श्रीपृथ्वीनाथ सिंह को स्वपन में पता चला कि इसी टीले के नीचे सात खण्डों का शिवलिंग दबा हुआ है, उन्हें एक खण्ड तक शिवलिंग खोजने का निर्देश हुआ। उन्होंने वैसा ही किया और एक खण्ड तक शिवलिंग खोजने के बाद वहाँ पूजा-अर्चना शुरू करवा दी। कालान्तर में उन्हीं के नाम से इस मन्दिर का नाम “श्री पृथ्वीनाथ महादेव” मन्दिर हो गया।

जनपद गोण्डा मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित काले पत्थरों से बने 5 फीट ऊँचे इस अद्भुत शिवलिंग को लेकर पुरातत्व विभाग का दावा है कि ये ये एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है जो कि लगभग 5000 वर्ष पूर्व महाभारत काल का है। इस शिवलिंग की बनावट ऐसी है कि यहाँ हर किसी को ऐड़ी उठाकर ही जल चढ़ाना पड़ता है। शिव भक्तों की श्रद्धा का प्रमुख केन्द्र माना जाने वाला ये स्थान बहुत ही शांत और सुरम्य है। वैसे तो यहाँ वर्ष भर श्रद्धालु आते रहते हैं परन्तु सावन, शिवरात्रि, कजरीतीज आदि त्यौहारों पर यहाँ लाखों की संख्या में लोग पहुँचते हैं।

कैसे पहुँचे:


इस मन्दिर के आसपास रुकने के लिए कोई होटल इत्यादि नहीं है। इसलिए बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए गोण्डा में रुकना ही अच्छा रहता है। गोण्डा में कई होटल हैं जहाँ आप बहुत कम पैसों में रुक सकते हैं। यहाँ से लगभग 30 किलोमीटर कि दूरी पर ये मन्दिर है। गोण्डा से मन्दिर तक जाने के लिए आपको टैक्सी इत्यादि आसानी से मिल जायेगी।

गोण्डा तक पहुँचने के लिए सड़क मार्ग से आप लखनऊ से सीधे गोण्डा बस अड्डे की बस ले सकते हैं। लखनऊ के अलावा भी कई अन्य महानगरों से गोण्डा के लिए बस इत्यादि की सुविधा है।

यदि आप वायु मार्ग से आना चाहते हैं तो आपको नजदीकी एअरपोर्ट श्री चौधरी चरण सिंह अमौसी एअरपोर्ट लखनऊ पहुँचना हैं, वहाँ से टैक्सी या बस से गोण्डा पहुँच सकते हैं।

रेल मार्ग से आने वाले लोग गोण्डा जंक्शन के लिए ट्रेन पकड़े। देश के तमाम शहरों से गोण्डा जंक्शन तक सीधी रेल सेवा उपलब्ध है। गोण्डा जंक्शन से शहर की दूरी महज 3 किलोमीटर है।

श्री पृथ्वीनाथ महादेव मन्दिर

- कुमार आशीष
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