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Saturday, October 12, 2019

भारतीय समाज पर सोशल-मीडिया के प्रभाव

चित्र : गूगल से साभार

सोशल मीडिया संक्षिप्त परिचय:-
                                                सोशल मीडिया एक Non-Traditional (गैर-पारंपरिक) मीडिया है, जो कि इन्टरनेट के माध्यम से एक ऐसा वर्चुअल संसार बनाता जिससे दुनियाँ के एक कोने से दूसरे कोने की दूरी को हम पल भर में तय कर लेते हैं। आजकल सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म खूब प्रचलन में हैं जैसे- फेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, यूट्यूब, लिंक्डइन आदि। सोशल मीडिया के आगमन का भारत ही नहीं दुनियाँ पर मिला-जुला प्रभाव पड़ा है, यहाँ हम भारत के अन्दर सोशल मीडिया से होने वाले लाभ और हानियों पर विचार करेंगे। 

सोशल मीडिया के लाभ:-
                                  सोशल मीडिया ने हर व्यक्ति को आज एक ऐसा मंच दिया है जिससे वो अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करता है और आगे बढ़ जाता है। हाल ही में रानू मण्डल के फर्श से अर्थ तक पहुँचने की कहानी इसका ताजा एवं जीवन्त उदाहरण है। सोशल मीडिया का उपयोग करके हम तमाम चीजें घर बैठे सीख सकते हैं, बहुत सारी जानकारियों का भण्डार हमें प्राप्त होता है। दिल्ली में हुए निर्भया काण्ड के बाद सोशल मीडिया की शक्ति से ही नवयुवकों ने एक आन्दोलन चलाया और फिर बाद में न्याय की लड़ाई के लिए सड़क पर उतरे जिसके परिणाम स्वरुप सरकार को त्वरित निर्णय लेने पड़े। इसी मीडिया की शक्ति से 2011 में अन्ना जी का भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन इतने बड़े स्तर पर सम्भव हो सका। सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी सोशल मीडिया पर लोगों को जागरूक किया जा रहा है और सौभाग्यवश उसके सुखद परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।

इन सबके इतर व्यवसाय में सोशल-मीडिया की भूमिका बहुत ही सराहनीय रही है। सोशल मीडिया के प्रभावी उपयोग के द्वारा कोई भी बहुत-ही कम लागत में अपना व्यवसाय पूरी दुनीयाँ में प्रचारित करके ग्राहकों को संगठित कर सकता है। सोशल मीडिया मार्केटिंग को लेकर हुए  एक सर्वेक्षण में 89% लोगों ने माना है कि उनका व्यवसाय सोशल मीडिया से बढ़ा है। पिछले ही वर्ष ‘भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान, ग्वालियर’ के अध्ययन में ये बात सामने आई है कि बहुत बड़े प्रतिशत में विदेशी पर्यटक भारत आने का विचार तब बनाते हैं जब सोशल मीडिया के माध्यम से उनकी नज़र में भारत की अच्छी तस्वीर बनती है। 

सोशल मीडिया की हानियाँ:-
                                          एक बहुत प्रचिलित कहावत है कि ‘हर सिक्के के दो पहलू होते हैं।’ ये कहावत सोशल मीडिया के लिए भी बिलकुल सार्थक है। जहाँ एक ओर सोशल मीडिया के तमाम लाभ हैं वहीं इसके नुकसान भी कम नहीं हैं। आजकल के समय में सोशल मीडिया के माध्यम से पहचान की चोरी, धोखाधड़ी, हैकिंग, वायरस अटैक जैसी की घटनाओं को भी अंजाम दिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर हमारे द्वारा अपडेट की जाने वाली हमारी व्यक्तिगत जानकरियाँ जैसे- जन्मतिथि, मोबाइल नम्बर आदि के लीक होने से हमारी सुरक्षा को ख़तरा है। आजकल तस्वीरें साझा करने का भी खूब प्रचलन है और कई बार उन्हीं तस्वीरों के दुरूपयोग से भी हमें ख़तरा रहता है। विद्यार्थियों के लिए सोशल-मीडिया पर परोसी जाने वाली जानकारियाँ कई बार बहुत भ्रामक होती हैं। इतिहास के कई काल-खण्डों को अब के लोग अपने-अपने हित के हिसाब से तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं, जिससे सही जानकारियाँ कहीं विलुप्त हो रही हैं। अनेकों बार हमने देखा हैं कि भड़काऊ पोस्ट, तस्वीरें जो किसी व्यक्ति, धर्म, मजहब, या सम्प्रदाय की भावनाओं को आहत करने वाली होतीं हैं, उसकी वजह से दंगे हो जाते हैं या किसी पर व्यक्तिगत हमले होते हैं। एक अनुमान के मुताबिक 2017-18 में फेसबुक, ट्विटर समेत कई सोशल-साईट्स  पर 2,245 आपत्तिजनक सामग्रियों के मिलने की शिकायत की गई थी जिनमें से जून, 2018 तक 1,662 सामग्रियाँ हटा दी गईं। फेसबुक ने सबसे ज़्यादा 956 आपत्तिजनक सामग्रियों को हटाया। इनमें ज़्यादातर वे कंटेंट्स थे जो धार्मिक भावनाएँ और राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान का निषेध करने वाले कानूनों का उल्लंघन करते थे। इतनी कम अवधि में बड़ी संख्या में आपत्तिजनक कंटेंट्स का पाया जाना यह बताता है कि सोशल मीडिया का कितना बड़ा दुरुपयोग हो रहा है।

उपसंहार/निष्कर्ष:-
                            उपर्युक्त बातों से ये बात स्पष्ट होती है कि सोशल मीडिया का वर्तमान भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने में, आर्थिक प्रगति में अहम् योगदान है। साथ ही इसके दुरूपयोग से विश्व पटल पर भारत की छवि भी धूमिल हो रही है और भारत के भीतर कई प्रकार के जान-माल का नुकसान भी हो रहा है। 
दोनों पहलुओं पर विचार करने के बाद हमें ये पता चलता है कि अगर हम सोशल मीडिया के दुरूपयोग को ख़त्म कर सकें या  कम कर सकें तो ये हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसका दुरुयोग रोकने के लिए जागरूकता सबसे अहम् कदम हो सकती है, साथ ही कानूनी तौर पर भी इसके दुरूपयोगकर्ताओं पर शिकंजा कसने की जरूरत है। बाहरी देशों की बात करें तो मलेशिया में इसके लिये दोषी व्यक्ति को 6 साल की सज़ा, थाईलैंड में 7 साल की सज़ा का प्रावधान है। इसके अलावा सिंगापुर, चीन, फिलीपिंस आदि देशों में भी गलत खबरों पर रोक लगाने के लिये सख्त कानून बनाए गए हैं। जर्मनी में यह भी प्रावधान है कि कंपनियों को हर 6 महीने बाद सार्वजनिक रूप से बताना होगा कि उन्हें कितनी शिकायतें मिलीं और उन पर किस प्रकार संज्ञान लिया गया। इसके अलावा, उन्हें उस यूज़र की पहचान भी बतानी होगी, जिस पर लोगों की मानहानि या गोपनीयता भंग करने का आरोप लगाया गया है। जानकारों का मानना है कि यह कानून लोकतांत्रिक देशों में अब तक का सबसे कठोर कानून है। हालाँकि भारत भी इस तरफ अपना कदम बढ़ा चुका है लेकिन देखने वाली बात होगी कि यह कितना कारगर साबित हो सकता है। हाल ही में केंद्र सरकार ने सूचना तकनीक कानून की धारा 79 में संशोधन का मसौदा तैयार किया है। इसके तहत फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियाँ अब अपनी ज़िम्मेदारियों से नहीं भाग सकेंगी। इसके अलावा, गृह मंत्रालय ने राज्य पुलिस बलों और खुफिया ब्यूरो को इस पर एक्शन लेने के लिये सोशल यूनिट्स बनाने के निर्देश दिये हैं। इसका सारांश इन चार पंक्तियों में है:

“सोशल मीडिया हथियार है, वरदान है,
जो करे सदुपयोग शख्स वो महान है।
सफलताओं का यहाँ से है निकलता रास्ता,
जिसने किया दुरूपयोग वो मूर्ख के सामान है।।"

आपका अपना

- कुमार आशीष
 सोशल मीडिया पर मिलते हैं : Instagram, YouTube, Facebook

2 comments:

  1. अच्छा है। लेकिन इसे थोड़ा और विस्तार देकर ज्यादा बेहतर बनाया जा सकता था। आपकी क्षमता के अनुरूप नहीं है।

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    1. प्रतिक्रिया और सुझाव के लिए आभार, ये एक "ऑन डिमाण्ड" लिखा जाने वाला लेख है। इसको सिर्फ 300 शब्दों में लिखना था पर उतने में मैं कुछ भी नहीं लिख पाता इसलिए ये 995 शब्द का लिखा... जितने ज्यादा विस्तृत ये लेख होता सामने वाले को इसका सारांश बनाने में ज्यादा परेशानी होती।

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