लेखक - श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’
फॉर्मेट - पेपरबैक
पृष्ठ संख्या - 176 पेज
मूल्य - ₹105
प्रकाशक - लोकभारती प्रकाशन प्रा. लि.
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श्री दिनकर जी की अद्भुत रचना शैली का आनन्द लेने और महाभारत के प्रमुख पात्रों में एक 'कर्ण' को जानने के लिए सबसे अच्छी पुस्तक है। इस पुस्तक के माध्यम से कर्ण को लेकर आपके सोचने का नज़रिया एकदम स्पष्ट हो जायेगा, उस महान व्यक्तित्व के आगे स्वयं देवराज नतमस्तक हैं। इस पुस्तक में हस्तिनापुर के राज्यसभा में भगवान् कृष्ण जी ने जो विराट् स्वरुप दिखाया था और उसके बाद किस तरह से कर्ण-कृष्ण संवाद हुआ वो बहुत शानदार शैली में चित्रित किया गया है। इसके बाद कुन्ती-कर्ण संवाद पढ़ते हुए कोई भी भावुक हो सकता है। पुस्तक में ये भी बताया गया है कि महाभारत की घटनाओं से समस्त मनुष्य जाति के लोगों को क्या सीखना चाहिए... अगर आप काव्यप्रेमी हैं तो निश्चित ही ये पुस्तक आपको बहुत बढ़िया लगेगी।
इसकी प्रिंटिंग क्वालिटी आधुनिकता के हिसाब से उतनी चमकदार नहीं लगी जितनी होनी चाहिए। पुस्तक की कवर बहुत बढ़िया है लेकिन अन्दर के पेज की डिजाईन बहुत साधारण बनाया है, उसमें कुछ छोटे-छोटे चित्र आदि जोड़े जाते तो अलग ही आकर्षण उत्पन्न होता। लेकिन पुस्तक की प्रस्तुति कैसी भी हो रचना शैली बहुत शानदार है। आख़िर एक बड़े कवि श्रीरामधारी सिंह दिनकर जी की रचना है, तो दिनकर जी का नाम ही काफी है। उनके पास पाठकों को बाँधे रखने की अद्भुत कला है।
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